भारत में हर आधे घंटे में एक किसान आत्महत्या कर रहा है, पिछले 10 सालो में भारत में 1 लाख 71 हज़ार 105 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके है।
भारत जो एक कृषि प्रधान देश है, जो पूरी तरह से यहाँ के किसानो पर निर्भर है, किसान वो अन्नदाता है, जो सभी के लिए अनाज उगाता है और सबका पेट भरता। खाना खिलाने वाले से कहा जाता है, अन्नदाता सुखी भवः
ये अन्नदाता है, कौन ? ये अन्नदाता खाना बनाने वाला या परोशने वाला नहीं है, ये अन्नदाता अनाज उगाने वाला है, जो एक किसान है। खेती जैसा उपहार भगवान ने हमें दिया है, हम मोबाइल और टीवी के बिना जिन्दा रह सकते है, लेकिन अन्न के बिना जिन्दा नहीं रह सकते है, टीवी और मोबाइल बनाने वाला करोड़पति है, और अन्न उगाने वाला हर दिन और गरीब होता जा रहा है।
किसान को उसकी लागत भी नहीं मिल पाती है, कैसे वो अपना घर चलाये अपने बच्चो का पालन करे कैसे वो खाद बीज का खर्चा उठाये और है, की हमारे देश का किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहा है।
कभी उस किसान के पैरों की एडीओ को देखना वो ऐसे फटी रहती है,, जैसे बिना पानी के जमीन फट जाती है, क्योंकि वो किसान दिन रात खेत में काम करता है,उसके कपडे फटे रहते है। उस किसान का दर्द कभी महसूस करके देखो कैसा लगता है।
एक किसान गरीबी में जीता है, और गरीबी में ही मर जाता है।
खेती कौन करना चाहेगा इतनी महँगाई में किसान खाद बीज के लिए कर्ज लेकर खाद बीज ख़रीदता है, खेती के लिए उससे पानी नहीं मिल पा रहा है, उसके बाद उनकी फसल इतने कम दामों में बिकती है, उसको लागत भी नहीं मिलती है।
msp न्यूनतम समर्थन मूल्य के नाम पर किसानो को कुछ नहीं मिलता है, उनकी लागत भी पूरी नहीं होती है, ये है हमारे देश के अन्नदाता का हाल।
बड़े-बड़े नेता बड़ी-बड़ी बाते करते है हर चीज़ पर लेकिन किसानो की तरफ कोई ध्यान नहीं देता है, देश का किसान सिर्फ वोटो के लिए याद आता है।
एक किसान दिन रात मेहनत करता है, धुप में सर्दी में वो लगा रहता है, किसी चीज़ की परवाह नहीं करता है,
जंहा हम चैन से सोते हैं वो किसान रात भर जागकर मेहनत करता है तब ये अनाज जो हम खाते है, वो तैयार होता है। ये किसान वो भगवान है जो पुरे देश का पेट भरता है, अगर वही भगवान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाये तो ये हमारे देश के लिए और हमारे लिए शर्म की बात है।
देश का किसान हर साल क़र्ज़ में डूबकर आत्महत्या कर रहा है, क्योंकि उसे उसकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है, किसान जितनी मेहनत कर रहा है, उसकी पूरी मेहनत का फल उससे नहीं मिल रहा है, जिस कारण वो क़र्ज़ में डुब जाता है, है, और अंत में आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाता है।
2014 में 755 किसानो ने आत्महत्या की, 2015 में 954 किसानो ने मौत को गले लगाया।
किसानो की आत्महत्या में कोई कमी नहीं आ रही है, लेकिन ये किसी के लिए बड़ी बात नहीं है, जंहा रोज हर चीज़ को टीवी पर हाईलाईट किया जाता है, वंहा किसानो का मुद्दा कोई न्यूज चैनल नहीं दिखता है, क्योंकि देश के पास इन किसानो के बारे में बात करने के लिए टाइम नहीं है, किसी के लिए किसानो की आत्महत्या बड़ा मुद्दा ही नहीं है ना देश के लोगो को इनकी परवाह है, ना देश की सरकार को इनकी चिंता है, इन किसानो की परवाह किसी को नहीं है। चाहे कितने भी किसान मरे किसी को कुछ लेना देना नहीं है।
हर बार नयी सरकार बनती है, किसानो से बड़े- बड़े वादे करती है, लेकिन इनके लिए कोई कुछ नहीं करता है, चाहे फिर BJP आये या कॉंग्रेस ये किसान हर साल कर्ज में डूब कर वैसे ही मर रहे है।
देश में किसानो के द्वारा आत्महत्या के मामले में पहले नंबर पर महाराष्ट्र है, जंहा के 3 हज़ार 661 किसानो ने आत्महत्या की।
दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जंहा 2 हज़ार 79 किसानो ने आत्महत्या की।
तीसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश है जंहा जंहा 804 किसानो ने मौत को गले लगाया।
छत्तीसगढ़ इस मामले में 5 वे नंबर है।
किसानो की आत्महत्या का कारण - भारत में किसान के लिए खेती करना बहुत मुश्किल हो गया है, क्योंकि मानसून नियमित नहीं रहता है, किसी साल मानसून अच्छा रहता है, तो फसल अच्छी हो जाती है कभी मानसून खराब होता है, उससे फसल खराब हो जाती है, लेकिन सच बात ये है, की चाहे मानसून अच्छा हो या खराब हमारे किसान को दोनों टाइम नुकसान ही उठाना पड़ता है, इसका कारण है, SUPPLY/DEMAND का इम्बैलेंस जब किसान की फसल अच्छी होती है, तो उन्हें अपनी फसल कम दाम में बेचनी पड़ती है, क्योंकि सरकार फसलो के दाम कम कर देती है। जिस कारण किसान हर बार नुकसान उठाता है, और क़र्ज़ में डूबकर आत्महत्या कर रहा है।
सरकार को किशानो के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, इस मुद्दे को गंभीर बनाने की जरूरत है।
किसानो को उनकी फसल के उचित दाम मिले।
सरकार को MSP में सुधार करने की जरूरत है, जिसमे सरकार किसान की फसल ख़रीदे का वादा करती है।
MSP किसानो को बीज बोन से पाहे ही पता होनी चाहिए, ताकि किसान तय कर सके कौनसी फसल ज्यादा उगाना फयदेमंद होगा।
किशानो को फौरन पसे की जरूरत होती है, वो एक हफ्ते भी इन्तजार नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें खाद बीज खरीदने होते जिस कारण कर्जा लेना पड़ता है, उन्हें तुरंत पैसे मिलने चाहिए।
बम्पर फसलो को बर्बाद होने से बचाने के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाने चाहिए।
बड़े किसानो से पहले छोटे किसानो को MSP का पूरा फयदा मिलना चाहिए।